दिवाली के मौके पर जब लोग पटाखे और मिठाइयों में बिज़ी थे, तभी थिएटर में एक और धमाका हुआ — हर्षवर्धन राणे की फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ का।
फिल्म के नाम से ही पता चलता है कि ये कहानी पागलपन भरे प्यार की है, जहां “ना” और “हाँ” के बीच की लाइन मिट जाती है।
दिवाली की सुबह और दोपहर में भी थिएटर में भीड़ देखकर यह साफ था कि लोग इस इंटेंस लव स्टोरी को देखने के लिए एक्साइटेड थे।
मिलाप जावेरी के निर्देशन और हर्षवर्धन राणे–सोनम बाजवा की जोड़ी ने फिल्म को दिलचस्प बना दिया है।
कहानी: जब पावर वाले दिल से प्यार करने लगते हैं
कहानी है विक्रमादित्य भोसले (हर्षवर्धन राणे) की — एक दबंग नेता का बेटा, जिसके सामने पूरा शहर झुकता है।
उसका एक ही नियम है —
> “मेरी मर्जी ही मेरी मर्जी है।”
विक्रम का बचपन ऐसे माहौल में बीता कि उसकी हर चाहत हुक्म बन गई।
लेकिन जब वो बॉलीवुड एक्ट्रेस अदा (सोनम बाजवा) को देखता है, तो पहली ही नजर में उसे पाने की ठान लेता है।
अदा के लिए विक्रम एक और अहम वाला इंसान है, जो प्यार नहीं, अपनी बात मनवाने में यकीन रखता है।
पर विक्रम के लिए अदा एक दीवानगी बन जाती है — ऐसा जुनून जो उसे हद से आगे ले जाता है।
टकराव की शुरुआत: जब अदा ने झुकने से मना कर दिया
विक्रम अदा को एक महीने में शादी करने का अल्टीमेटम देता है।
वो हर तरीका अपनाता है — प्यार से मनाना, दबाव डालना, धमकाना, लेकिन अदा नहीं मानती।
अदा खुद को अपमानित महसूस करती है और सामने से जवाब देती है।
उसका यह डायलॉग पूरे थिएटर में सन्नाटा फैला देता है —
> “जो दशहरे तक विक्रम को जान से मारेगा, मैं उसके साथ एक रात गुजारूंगी।”
इसके बाद कहानी में ऐसा मोड़ आता है कि प्यार, गुस्सा और बदला तीनों आपस में मिल जाते हैं।
इमोशन और ड्रामा से भरी लव स्टोरी
‘एक दीवाने की दीवानियत’ सिर्फ एक रोमांटिक फिल्म नहीं है,
ये एक जज़्बाती टकराव है — जहां प्यार, नफरत और जिद एक साथ चलते हैं।
फिल्म के कुछ हिस्से 90’s वाली रोमांटिक फिल्मों की याद दिलाते हैं।
म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर कहानी को और दिल में उतरने लायक बनाते हैं।
‘तेरे दिल पर हक मेरा है’, ‘बोल कफारा क्या होगा’ और ‘दिल दिल दिल’ जैसे गाने दिल छू लेते हैं।

एक्टिंग: असली दीवानगी का असर
🔹 हर्षवर्धन राणे — “दीवाने” की पूरी झलक
विक्रम के रोल में हर्षवर्धन राणे ने जान डाल दी है।
उनकी आंखों का गुस्सा और चेहरे के एक्सप्रेशन बताते हैं कि वो इस किरदार को पूरी शिद्दत से निभा रहे हैं।
🔹 सोनम बाजवा — खूबसूरती और हिम्मत का मेल
अदा के किरदार में सोनम बाजवा जितनी खूबसूरत हैं, उतनी ही मजबूत और आत्मविश्वासी भी लगती हैं।
उनकी ये लाइन फिल्म का असली संदेश बन जाती है —
> “औरत की मर्जी ही उसकी मर्जी है।”
🔹 बाकी कलाकार
सचिन खेडेकर (विक्रम के पिता) और शाद रंधावा (दोस्त) ने भी अच्छा काम किया है और कहानी को वजन दिया है।
टेक्निकल बातें: फिल्म की मजबूती और कमज़ोरी
पहलू काम
निर्देशन – मिलाप जावेरी का ड्रामेटिक लेकिन दिल को छूने वाला निर्देशन
कहानी – मुश्ताक शेख की स्क्रिप्ट में भावनाएं और तकरार दोनों हैं
म्यूजिक – पुराने जमाने की फील के साथ मॉडर्न टच
कैमरा वर्क – मुंबई की लोकेशन को बहुत खूबसूरती से दिखाया गया
एडिटिंग – थोड़ी और तेज़ हो सकती थी, पर फिल्म का फ्लो अच्छा है
क्या अच्छा लगा
हर्षवर्धन और सोनम की जोड़ी शानदार
म्यूजिक जो कहानी को भावनात्मक बनाता है
दमदार डायलॉग्स जिन पर तालियां बजती हैं
90’s वाला रोमांटिक एहसास
पावर और प्यार के बीच की टकराहट
क्या बेहतर हो सकता था
कुछ सीन ज़रूरत से ज़्यादा नाटकीय लगे
कहानी में कुछ जगह स्लो मोमेंट्स हैं
एडिटिंग थोड़ी और टाइट हो सकती थे

क्यों देखें “एक दीवाने की दीवानियत”
अगर आपको जोशीली लव स्टोरी, गहराई वाला रोमांस और दमदार एक्टिंग पसंद है,
तो ये फिल्म आपको जरूर पसंद आएगी।
यह फिल्म दिखाती है कि प्यार सिर्फ पाने का नहीं, समझने का भी नाम है।
Final Verdict
‘एक दीवाने की दीवानियत’ एक ऐसी कहानी है जो दिल को छू जाती है।
विक्रम और अदा की यह जंग दिखाती है कि
कभी-कभी प्यार और पागलपन में फर्क करना मुश्किल हो जाता है।
⭐ रेटिंग: 7.5/10
🎶 देखने लायक: कहानी, गाने और एक्टिंग
टिप:
अगर आप romantic drama movies के शौकीन हैं,
तो इस फिल्म को जरूर देखें।
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