कहते हैं, “सच्चा लीडर वही होता है जो मुश्किल वक्त में भी उम्मीद की लौ जलाए रखे।”
रतन टाटा (Ratan Tata) ऐसे ही लीडर हैं — जिनकी सोच, सादगी और दूरदर्शिता ने न सिर्फ Tata Group को ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बल्कि उन कंपनियों को भी नया जीवन दिया जो कभी कंगाली की कगार पर थीं।
आज Tata Group की कई कंपनियां विदेशों में भी अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी हैं। आइए जानते हैं उन 7 कंपनियों के बारे में, जिन्हें रतन टाटा ने सचमुच Zero से Hero बना दिया।

बिग बॉस्केट – Online Grocery का नया बादशाह
जब BigBasket ने 2021 में Tata Group का हिस्सा बना, तब तक ये कंपनी भारतीय ऑनलाइन ग्रॉसरी मार्केट में एक जाना-पहचाना नाम तो थी, लेकिन profit margins काफी कम थे।
टाटा डिजिटल (Tata Digital) ने इस कंपनी को करीब $2 अरब डॉलर की वैल्यूएशन पर खरीदा।
पहले: कंपनी की बिक्री ठीक थी, लेकिन मुनाफा बहुत कम।
बाद में: टाटा ग्रुप के अंतर्गत आने के बाद बिग बॉस्केट को टेक्नोलॉजी, सप्लाई चेन और फंडिंग में बड़ा बूस्ट मिला।
आज BigBasket भारत की सबसे बड़ी grocery delivery company बन चुकी है, और इसका क्रेडिट जाता है टाटा ग्रुप की visionary approach को।

लैंड रोवर और जगुआर – अपमान से अवसर तक की कहानी
यह कहानी किसी फिल्म से कम नहीं!
साल 1999 में जब Tata Motors की पहली कार Tata Indica मार्केट में उम्मीद के मुताबिक नहीं चली, तो रतन टाटा ने कंपनी बेचने का मन बना लिया। वे Ford Motors के पास गए, लेकिन वहाँ उन्हें ताने सुनने पड़े —
> “आप हमें कार बेचने आए हैं, जबकि आपको तो खुद कार बनाना नहीं आता।”
ये बात रतन टाटा को चुभ गई। उन्होंने डील रद्द कर दी और भारत लौट आए।
कुछ सालों बाद, 2008 की मंदी में जब Ford खुद घाटे में था, तब रतन टाटा ने Jaguar और Land Rover को $2.3 बिलियन डॉलर में खरीद लिया।
आज वही दोनों ब्रांड टाटा ग्रुप के तहत दुनिया के सबसे लग्जरी कार ब्रांड्स में गिने जाते हैं।
👉 यह सिर्फ एक खरीद नहीं, बल्कि बदले का इतिहास है!

देवू कमर्शियल व्हीकल – घाटे से ग्रोथ की ओर
साल 2004 में Tata Motors ने कोरिया की struggling कंपनी Daewoo Commercial Vehicles को $102 मिलियन डॉलर में खरीदा।
उस वक्त कंपनी घाटे में थी,
लेकिन रतन टाटा की रणनीति और efficient management ने इसे turnaround कर दिया।
इस डील के बाद Tata Motors ने न सिर्फ कोरियन मार्केट में अपनी पहचान बनाई, बल्कि ग्लोबल कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में भी अपनी पकड़ मजबूत कर ली।
आज Tata Daewoo एशिया के प्रमुख heavy vehicle निर्माताओं में से एक है।

कोरस स्टील – यूरोप पर भारतीय छाप
Corus Group यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी और दुनिया की आठवीं सबसे बड़ी इस्पात निर्माता कंपनी थी।
लेकिन उसका स्टील बिजनेस कमजोर पड़ रहा था।
रतन टाटा ने 2006 में इसे खरीदने की पेशकश की —
> $11.3 अरब डॉलर की सबसे बड़ी इंडियन cross-border डील!
2007 में यह कंपनी Tata Steel Europe बन गई। इस डील से टाटा ग्रुप की ग्लोबल स्टील इंडस्ट्री में एंट्री हुई। आज Tata Steel यूरोप और दुनिया भर में क्वालिटी स्टील सप्लाई के लिए जानी जाती है।
💡 यह सौदा साबित करता है कि भारतीय विज़नरी बिजनेस लीडर्स दुनिया के नक्शे पर कैसे अपनी छाप छोड़ सकते हैं।

टेटली टी – चाय का असली स्वाद
टाटा टी पहले से भारत में मशहूर थी, लेकिन रतन टाटा ने इसे ग्लोबल लेवल पर ले जाने का सपना देखा।
साल 2000 में उन्होंने ब्रिटेन की Tetley Tea को $431.3 मिलियन डॉलर में खरीद लिया।
इस अधिग्रहण के बाद:
टाटा टी बन गया “Tata Global Beverages”
और टेटली बन गई इसका लग्जरी ब्रांड फेस।
आज टेटली 40+ देशों में बिकती है और ब्रिटेन की दूसरी सबसे बड़ी चाय ब्रांड है।
☕ रतन टाटा ने दिखाया — चाय भी एक ग्लोबल ब्रांड बन सकती है!

एयर इंडिया – घर वापसी की कहानी
यह डील सिर्फ बिजनेस नहीं, एक भावनात्मक जुड़ाव थी।
Air India की स्थापना रतन टाटा के चाचा JRD Tata ने 1932 में की थी।
कुछ सालों बाद यह सरकारी कंपनी बन गई, और धीरे-धीरे नुकसान में जाती रही।
साल 2021 में, लगभग 90 साल बाद, Tata Sons ने फिर से Air India को अपने अधीन ले लिया।
एयरलाइन घाटे में थी, पर टाटा ग्रुप ने इसे modern technology, better service और professionalism के साथ फिर से revive करने की शुरुआत की।
आज Air India नई पहचान बना रही है और भारतीय एविएशन के गौरव को वापस लौटा रही है।
✈️ यह सिर्फ एक अधिग्रहण नहीं, बल्कि “वापसी अपने घर की” कहानी है।

टाटा 1MG – डिजिटल हेल्थ का भविष्य
1MG एक डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म था जो शुरुआत में सिर्फ ऑनलाइन दवाइयाँ बेचता था।
टाटा डिजिटल ने इसे खरीदा और इसमें नई जान फूंक दी।
अब 1MG सिर्फ दवा नहीं, बल्कि:
ऑनलाइन डॉक्टर कंसल्टेशन,
डायग्नोस्टिक टेस्ट,
और हेल्थ रिपोर्ट सर्विसेज भी प्रोवाइड कर रहा है।
टाटा की डिजिटल सोच ने इसे भारत का सबसे भरोसेमंद e-health ब्रांड बना दिया है।
✨ रतन टाटा की सोच – सिर्फ बिजनेस नहीं, विज़न!
इन 7 डील्स से साफ है कि रतन टाटा का मकसद सिर्फ पैसा कमाना नहीं था।
उनका विज़न था —
> “भारतीय बिजनेस को ग्लोबल पहचान दिलाना।”
उन्होंने साबित किया कि सही सोच, ईमानदारी और धैर्य से किसी भी कंपनी को जीरो से हीरो बनाया जा सकता है।

नतीजा (conclusion) – प्रेरणा की मिसाल
रतन टाटा की कहानी बताती है कि सफलता सिर्फ बड़ी पूंजी से नहीं, बल्कि बड़ी सोच से आती है।
उन्होंने वो कर दिखाया जो बहुतों ने सोचा भी नहीं था —
घाटे में चल रही कंपनियों को दुनिया के दिग्गज ब्रांड्स में बदल दिया।
Aapko kya lagta hai, इनमें से कौन सी डील सबसे ज़्यादा inspirational थी?
अपना opinion comment में ज़रूर बताएं!
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